Thursday 12 April 2012

इनायत ए ज़िन्दगी बेशुमार इतनी
महसूस किया तो रोना आया

दोस्तों की दोस्ती छु गयी इतनी
दुश्मनी को देखा तो दिल भर आया


ऐसा क्यूँ समझते हैं की हम इश्क के काबिल नहीं
मोहोब्बत हमने भी की बस उनको एहसास ना आया


तरन्नुम यादों का गूंजा हवाओं में
भूले से भी उनको कभी कुछ ना आया