चोट किसी को दे खुद आप ही चोट खाया है
बंदी किसी को बना खुद ही बंदी बन जाया है
बहाया किसी का खून क्या तेरा खून बच पाया है?
जो करा किसी का अपमान तो अपमानित तुम न हुए ?
छीन किसी की रोटी भूके तुम ही रह गए
लड़ाई किसी और से कर खुद अपने से ही लड़ पड़े
अपने नक़्शे कदम पर पीढ़ियों को ले चले
मिला था एक अवसर शांति अमन का
गवा बैठे अपने को गवाने में
बंदी किसी को बना खुद ही बंदी बन जाया है
बहाया किसी का खून क्या तेरा खून बच पाया है?
जो करा किसी का अपमान तो अपमानित तुम न हुए ?
छीन किसी की रोटी भूके तुम ही रह गए
लड़ाई किसी और से कर खुद अपने से ही लड़ पड़े
अपने नक़्शे कदम पर पीढ़ियों को ले चले
मिला था एक अवसर शांति अमन का
गवा बैठे अपने को गवाने में